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रोसड़ा में ट्रेन ठहराव को लेकर जनता का आक्रोश, 18 हज़ार हस्ताक्षरों ने खोली सांसद-विधायक की पोल

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मोहम्मद आलम

रोसड़ा: ट्रेन ठहराव की मांग को लेकर रोसड़ा की जनता अब सड़कों पर है। रविवार को शुरू हुए हस्ताक्षर अभियान में अब तक 18 हज़ार से अधिक लोगों ने समर्थन दिया है। यह केवल एक मांग नहीं, बल्कि उपेक्षा और अन्याय के खिलाफ उठी एक गूंज है।आश्चर्य की बात यह है कि रोसड़ा अनुमंडल मुख्यालय होने के बावजूद यहां प्रमुख ट्रेनों का ठहराव तक नहीं है। मरीजों से लेकर छात्रों और व्यापारियों तक – सभी को मजबूरी में दरभंगा, समस्तीपुर और बेगूसराय जैसे स्टेशनों का रुख करना पड़ता है। क्या यही विकास है जिसके दावे नेताओं द्वारा चुनाव के वक्त किए जाते हैं?

सांसद-विधायक सिर्फ आश्वासन के राजनीति कर रहे हैं

स्थानीय लोगों ने कड़ा आरोप लगाया है कि यहां के सांसद और विधायक केवल आश्वासन की राजनीति कर रहे हैं। कुछ समय पहले जब युवाओं ने स्टेशन परिसर में अमरन अनशन शुरू किया था, तब दोनों जनप्रतिनिधि वहां पहुंचे और ठहराव की गारंटी का वादा किया। लेकिन हकीकत यह है कि वह वादा आज तक सिर्फ “हवा-हवाई” निकला।जनता का कहना है कि उनके लिए रोसड़ा का विकास कोई मुद्दा ही नहीं है। “वोट मांगने के वक्त नेताओं के कारवां यहां उमड़ पड़ते हैं, लेकिन जब विकास की बारी आती है तो सब खामोश हो जाते हैं।”

जनता ने थामी आंदोलन की कमान

हस्ताक्षर अभियान में जिस तरह का जनसमर्थन उमड़ा है, उससे साफ है कि यह अब एक आम आंदोलन नहीं, बल्कि जनजागरण का स्वरूप ले चुका है। समाजसेवी सिद्धार्थ कुमार सिंह एवं आकाश गारा तीखे शब्दों में कहा, “जब 18 हज़ार लोग अपने हस्ताक्षर से आवाज़ उठाते हैं और नेता चुप रहते हैं, तो यह उनकी संवेदनहीनता और रोसड़ा के प्रति उपेक्षा को साबित करता है।”लोगों का कहना है कि अगर इस बार भी उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो आंदोलन की गूंज पटना से लेकर दिल्ली तक सुनाई देगी और जनप्रतिनिधियों को जनता के सवालों का जवाब देना ही होगा।

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